डिप्टी बनने क्यों राजी हुए सिंहदेव
- दिवाकर मुक्तिबोध छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीति में हाल ही में हुए बदलाव पर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने भले ही आलोचना की हो लेकिन मुद्दे की बात यह है कि वह पुनः हताशा की शिकार हो गई है। दरअसल कांग्रेस संगठन व सत्ता के बीच पिछले कुछ समय से जो अंदरूनी खींचतान चल रही थी, उसे देखते हुए पार्टी को अपने लिए कुछ संभावनाएं नज़र आने लगी थी। कांग्रेस में त्रिकोण बन गया था जिसके एक छोर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, दूसरे पर प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम व तीसरे छोर पर केबिनेट मंत्री टी एस सिंहदेव थे। पार्टी में गुटबाजी सतह पर थी और आंतरिक सर्वे में करीब पचास फीसदी विधायकों का प्रदर्शन निराशाजनक माना गया था। केंद्रीय नेतृत्व के लिए यह चिंता की बात थी। यदि यही स्थिति आगे भी कायम रहती तो इसका फायदा चार महीने बाद होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव में भाजपा को किसी न किसी रूप में मिल सकता था। प्रदेश भाजपा इसी खुशफहमी में थी। लेकिन हालातों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस हाई कमान ने 28 जून को जो निर्णय लिया वह उसका मास्टर स्ट्रोक था और उसने भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। वरिष्ठ मंत्री टी एस सिंहदेव को उप म