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व्यवस्था पर कड़ी चोट है एक शिक्षित बेरोजगार का आत्मदाह

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-दिवाकर मुक्तिबोध एक नवंबर, 2001 को मध्यप्रदेश से अलग होकर पृथक राज्य के रूप में अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ की अब तक की सबसे त्रासद घटना है विकलांग योगेश साहू की मौत। 12वीं तक शिक्षित राजधानी रायपुर के इस युवा ने दो साल के निरंतर संघर्ष के बाद जब एक  अदद सरकारी नौकरी की आस छोड़ दी, तब उसने स्वयं को खत्म करने का निर्णय लिया। 21 जुलाई को प्रात: आठ बजे वह अपने बीरगांव स्थित घर से मुख्यमंत्री जनदर्शन में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिलने आखिरी उम्मीद के साथ निकला और नाउम्मीद होने के बाद मुख्यमंत्री आवास के सामने पेट्रोल छिड़ककर खुद को आग के हवाले कर दिया। लगभग 85 प्रतिशत झुलसी उसकी काया ने छह दिन के संघर्ष के बाद अंतत: जिंदगी का साथ छोड़ दिया। उसकी मौत दरअसल रोजगार के लिए संघर्षरत शिक्षित युवाओं में व्याप्त असंतोष, निराशा, कुंठा और बेपनाह दर्द की मार्मिक अभिव्यक्ति है। यह सड़ी-गली व्यवस्था पर एक और निर्मम चोट है।         21 जुलाई को मुख्यमंत्री आवास के समक्ष विकलांग शिक्षित बेरोजगार योगेश साहू ने आत्मदाह किया। छत्तीसगढ़ के इतिहास में आत्मदाह की यह पहली घटना है जिसने स