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अजीत जोगी का नया दाँव

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-दिवाकर मुक्तिबोध छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की कमान मूलत: किसके हाथ में है ? अध्यक्ष अजीत जोगी के या उनके विधायक बेटे अमित जोगी के हाथ में? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि अजीत जोगी चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लड़ेंगे तो कहाँ से लड़ेंगे, यह पिता के लिए बेटा तय कर रहा है। कम से कम हाल ही में घटित एक दो घटनाओं से तो यही प्रतीत होता है। वैसे भी पुत्र-प्रेम के आगे जोगी शरणागत है। इसकी चर्चा नई नहीं, उस समय से है जब जोगी वर्ष 2000 से 2003 तक कांग्रेस शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उनके उस दौर में अमित संविधानेत्तर सत्ता के केन्द्र बने हुए थे तथा उनका राजनीतिक व प्रशासनिक कामकाज में ख़ासा दख़ल रहता था। अब तो ख़ैर दोनों बाप-बेटे की राह कांग्रेस से जुदा है और दो वर्ष पूर्व गठित उनकी नई पार्टी ने छत्तीसगढ़ में अपनी जड़ें जमा ली है। यद्यपि कहने के लिए अजीत जोगी अपनी नई पार्टी के प्रमुख कर्ता-धर्ता हैं लेकिन कार्यकर्ता बेहतर जानते हैं कि अमित जोगी की हैसियत क्या है और संगठन में उनका कैसा दबदबा है। पिता-पुत्र के संयुक्त नेतृत्व में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस अपना पहला चुनाव लड़ रही है। राज्य की 90 सीट

किसके हाथ में कमान

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- दिवाकर मुक्तिबोध  छत्तीसगढ़ में चुनाव के पूर्व की तस्वीर बहुत साफ़ सुथरी व स्वस्थ नज़र नहीं आ रही है। राज्य विधानसभा चुनाव के लिए तारीख़ों का एलान हो चुका है। 12 एवं 20 नवम्बर को 90 सीटों के लिए मतदान होगा। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। यानी अब मतदाताओं को प्रभावित करने वाली सरकारी घोषणाएँ नहीं होंगी। लेकिन राजनीतिक माहौल में जिस तरह गरमाहट व तनाव है, उसे देखते हुए सवाल है कि क्या राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव की परम्परा पर आघात पहुँचने वाला है? नक्सली समस्या से जूझ रहे छत्तीसगढ़ ने बीते वर्षों मे ख़ूब हिंसा देखी है, ख़ूब ख़ून बहा है पर आमतौर पर चुनाव शांति से निबटे हैं। किन्तु इस बार परिस्थितियां कुछ अलग दिखाई दे रही है। कम से कम वह अभी बेहतर तो नहीं ही है। नक्सलियों ने अलग फ़रमान जारी कर दिया है। यह समस्या ख़ैर अपनी जगह तो है ही, सत्तारूढ़ भाजपा व  प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के बीच जो तनाव व राजनीतिक विद्वेष घिरता हुआ नज़र आ रहा है वह चुनाव के दौरान हिंसक झड़प की आशंकाओं को घनीभूत करता है। 2003 में राज्य के पहले चुनाव के ठीक पूर्व ऐसा ही नज़