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घट गया राज्य पुरस्कारों का महत्व

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- दिवाकर मुक्तिबोध आगामी एक नवंबर को नये राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ के 22 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। प्रत्येक वर्ष राज्योत्सव में सांस्कृतिक आयोजनों के अलावा किसी न किसी रूप में राज्य के विकास में विशेष योगदान देने वाले विद्वानों को राज्य अलंकरण से पुरस्कृत किया जाता है। प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में 16 पुरस्कार दिए जाते थे जो भाजपा के पंद्रह वर्षों के शासन में बढकर बाइस हुए और अब कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में इनकी संख्या बढाकर 36 कर दी गई हैं। यानी छत्तीसगढ़ के 36 पुरस्कार। राज्य पुरस्कारों के मामले में जैसी राजनीति व दखलंदाजी प्रायः हर जगह चलती है, उससे छत्तीसगढ़ भी मुक्त नहीं है। इसीलिए दो दशक से अधिक वर्ष बितने के बावजूद इन पुरस्कारों की जो अहमियत, जो गरिमा स्थापित होनी चाहिए थी वह नहीं हुई। एक तरह से ये पुरस्कार सरकार की नजऱ में भी औपचारिक बन कर रह गए हैं और रेवडी की तरह बांटे जाते हैं। इसीलिए बहुत से ऐसे लोग पुरस्कृत होते रहे हैं जो उन पुरस्कारों के योग्य नहीं थे। लिहाजा अपने ही राज्य में इन पुरस्कारों की महत्ता लगभग खत्म हो गई है। राष्ट्रीय स्तर पर भी जो एक दो

जसम सम्मेलन के बहाने कुछ बातें

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- दिवाकर मुक्तिबोध बस्तर के आदिवासियों के हितों के लिए वर्षों से संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में जो विचार व्यक्त किए हैं, वे फासीवाद के मुद्दे पर बौद्धिक तबके की कथित सक्रियता पर सवाल खडे करते हैं। उन्होंने कहा-फासीवाद का सबसे पहले हमला आदिवासियों पर होता है। वे उसका सामना करते हैं। बाद में किसान व मजदूर मुकाबला करते हैं। गरीब व निम्न वर्ग पर जब हमला होता है तो वह अपने तरीक़े से उसके खिलाफ संघर्ष करता है लेकिन हम और आप यानी मध्यम व निम्न मध्यम वर्ग के लोग फासीवाद के खिलाफ अभियान को समर्थन तो देते हैं पर सक्रिय हस्तक्षेप नहीं करते। उनकी लडाई में शामिल नहीं होते। हिमांशु कुमार के ये विचार लोकतांत्रिक संगठनों व संस्थाओं को अपनी गतिविधियों तथा कार्यक्रमों पर नये सिरे से विचार करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण व जरूरी मुद्दा देते हैं। देश में बढती अराजकता, असहिष्णुता, लोकतांत्रिक अधिकारों का अपहरण, व्यवस्था के खिलाफ बोलने की आजादी पर प्रहार, फासिस्ट ताकतों का उभार व साम्प्रदायिकता के नाद पर गंभीर विमर्श के लिए जन संस्कृति मंच ने छत्तीसगढ़ की राज