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Showing posts from August, 2014

धोनी की कप्तानी पर इतनी हायतौबा क्यों?

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- दिवाकर मुक्तिबोध इंग्लैड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला में बुरी तरह पराजित टीम इंडिया, उसके कप्तान एमएस धोनी एवं मुख्यकोच डंकन फ्लेचर की आलोचना का गुबार धीरे-धीरे ठंडा पड़ता जा रहा है। बीसीसीआई ने फौरी तौर पर कदम उठाते हुए पूर्व कप्तान रवि शास्त्री को टीम इंडिया का निदेशक नियुक्त कर दिया है जिन्हें मुख्य कोच डंकन फ्लेचर रिपोर्ट करेंगे। इस महत्वपूर्ण फैसले से जाहिर है बतौर कोच फ्लेचर के अब गिनती के दिन रह गए हैं। संभव है इंग्लैंड के खिलाफ इंग्लैंड मेंं एक दिवसीय श्रृंखला के समाप्त होने एवं इसी अक्टूबर में वेस्टइंडीज के भारत दौरे के पूर्व वे पद से इस्तीफा दे दें। उनके इस्तीफे के बाद मुख्य कोच की जिम्मेदारी किसे मिलेगी , यह फिलहाल अबूझ सा सवाल है क्योंकि विदेशी कोच की नियुक्ति के मामले में विरोध के खासे स्वर उठते रहे हैं। यह स्वर तब और तेज हो जाते हैं जब भारतीय क्रिकेट टीम देश अथवा विदेश में श्रृंखलाएं गंवाती हैं।          विश्व क्रिकेट में वेस्टइंडीज एवं आस्ट्रेलिया ही ऐसी टीमें रही हैं जिनकी बादशाहत लंबे समय तक कायम रही। लेकिन इन दोनों टीमें को भी किसी न किसी समय बुरे वक्त क

राजनीतिक सदमे से उबरने की कोशिश में ‘आप’

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-दिवाकर मुक्तिबोध       देश को वैकल्पिक राजनीति देने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी क्या फिर जनता की निगाहों में चढ़ पाएगी? लोकसभा चुनाव में रणनीतिक भूलों की वजह से पार्टी को न केवल पराजय झेलनी पड़ी वरन आम लोगों की उम्मीदों को भी धक्का लगा जो अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में राजनीति के शुद्धिकरण का सपना देख रहे थे। चुनाव में पराजय एवं आतंरिक कलह से उपजी टूट-फूट के बाद पार्टी नए सिरे से जनता के बीच खडेÞ होने की कोशिश कर रही है। 3 अगस्त को पार्टी ने जंतर-मंतर पर विशाल जनआंदोलन का ऐलान किया है। प्रमुख मांग है दिल्ली राज्य विधानसभा के चुनाव। विधानसभा निलंबित है और राष्ट्रपति शासन लागू है। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल लेफ्टिनेंट गवर्नर से अनुरोध करते रहें हैं कि चुनाव यथाशीघ्र कराए जाएं। अब इसी मांग को लेकर पार्टी ने जनशक्ति की अपनी बुनियाद को पुन: टटोलने का फैसला किया है। 3 अगस्त को स्पष्ट हो जाएगा कि जनसमर्थन की उसकी चूलें हिली हैं अथवा नहीं? यानी वास्तविक स्थिति क्या है।        दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अपेक्षा से कहीं ज्यादा सीटें मिलीं थी। उसके 28 विधाय