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Showing posts from July, 2019

बस कुछ माह और

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-  दिवाकर   मुक्तिबोध   तो यह तय है कि एमएस धोनी फिलहाल संन्यास नहीं लेंगे और कुछ समय के लिए एक नई भूमिका में नज़र आएँगे। उन्होंने वेस्टइंडीज़ दौरे के लिएअपनी अनउपलब्धता जाहिर कर दी है।बीसीसीआई ने इस पर विचार करते हुए उन्हें टीम के नए युवा विकेट कीपर ऋषभ पंत को ट्रेंड करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है। यानी धोनी माक़ूल वक़्त का इंतज़ार कर रहे हैं। बहुत संभव है यह दो-तीन महीनों की बात हो। दरअसल आगामी सितंबर -अक्टूबर में दक्षिण अफ़्रीका कीटीम भारत आने वाली है। हो सकता है धोनी टीम इलेवन में चुने जाएं ताकि वे इस नायाब मौक़े पर अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर सके। बहरहाल विराट कोहली को इस बात का शायद ताउम्र अफ़सोस कहेगा कि वे अपने 'कप्तान' को तोहफ़े के रूप में वर्ल्ड कप जीत कर नहीं दे सके। महेन्द्रसिंह धोनी को वे अपना कप्तान मानते हैं और वे यह कई बार कह चुके हैं कि धोनी उनके कप्तान हैं और हमेशा रहेंगे।इंग्लैंड में कोहली के नेतृत्व में यदिभारत ने वर्ल्ड कप जीत लिया होता तो संभवत: धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई ले चुके होते और देश-विदेश के तमाम अखबार, इलेक्ट्रानिक

राहुल के बाद कौन

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-दिवाकर मुक्तिबोध मई में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने की शायद उसकी उतनी चर्चा नहीं हुई जितनी कांग्रेस की अप्रत्याशित घनघोर पराजय और अब उसके भीतरखाने में चल रही क़वायद को लेकर हो रही है। राहुल गांधी के इस्तीफ़े के बाद पार्टी संगठन परिवर्तन की राह पर है और देश की निगाहें इस बात पर लगी हुई है कि कमान किसके हाथों में आने वाली है। सवाल है कि क्या कांग्रेस को वैसा ही सबल नेतृत्व मिल पाएगा जो अब तक नेहरू-गांधी परिवार से मिलता रहा है ? या क्या वह इस परिवार के आभामंडल से मुक्त होकर नए सिरे से खड़ी हो पाएगी? और क्या पार्टी में वैसा नेतृत्व मौजूद है ?     इतिहास के कुछ पन्ने पलटकर देखें। 12 नवंबर 1969 को जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए इंदिरा गांधी को पार्टी से निष्कासित कर दिया तो विभाजित दोनों धड़ों में नेतृत्व का कोई संकट नहीं था । उस दौर में कांग्रेस में एक से बढ़कर एक दिग्गज नेता थे। यह अलग बात है कि इंदिरा गांधी को बाहर का रास्ता दिखाने वाली सिंडीकेट कांग्रेस समय के साथ खुद राजनीतिक परिदृश्य से लुप्त हो गई और इंदिरा के नेतृत