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Showing posts from October, 2014

अजीत जोगी : एक दृष्टि

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- दिवाकर मुक्तिबोध (छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर केन्द्रित यह आलेख सन 2009-10 के दरमियान लिखा गया था। लिहाजा उनकी राजनीतिक गैर राजनीतिक कथा यात्रा इसी अवधि तक सीमित है।) छत्तीसगढ़ की राजनीति में अजीत प्रमोद कुमार जोगी का क्या स्थान होना चाहिए, एक लंबी बहस का विषय है। कांग्रेस की राजनीति में भी उनके संदर्भ में एकबारगी कोई ठोस राय कायम नहीं की जा सकती। इस पर भी काफी मतांतर हो सकता है। दरअसल यह स्थिति इसलिए है क्योंकि जोगी का व्यक्तित्व अजीबोगरीब है। राजनेताओं में वैसे भी व्यक्तित्व की पारदर्शिता का अभाव रहता है। उसमें सच और झूठ की कई परतें होती हैं लिहाजा उन्हें ठीक-ठीक पढ़ा नहीं जा सकता। पढ़ने की कोशिश करें तो उसमें भी काफी वक्त लगता है और ऐसे में यदि जोगी जैसे गूढ़ व्यक्तित्व आपके सामने हों और उसे पढ़ने की चुनौती आपने स्वीकार कर ली हो तो जाहिर सी बात है, आपको काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। उनकी जिंदगी की किताब जिसमें साल दर साल नए-नए पन्ने जुड़ते जा रहे हैं, इतनी विचित्र और हैरतअंगेज है कि उन्हें पढ़ते-पढ़ते न केवल आप रोमांचित होंगे बल्कि इस नतीजे पर पहुंचेगे कि यह आदमी लाजवाब है, जब

कुछ यादें

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‘‘जीवन में ऐसी बहुतेरी घटनाएं घटती हैं जो यादें बनकर रह जाती हैं, कुछ कड़वी, कुछ मीठी और कुछ अवसाद भरी। वे कैसी भी हों, पीछा नहीं छोड़ती। जब आप तनिक फुर्सत में होते हैं, जिंदगी के पन्ने पलटने लगते हैं तो चलचित्र की तरह उनका अक्स आंखों के सामने उभरने लगता है और आप अतीत में खो जाते हैं। ऐसे ही कुछ संस्मरण हैं जो मैने फुर्सत के क्षणों में सन 2010 के प्रारंभ में लिखे थे। उनमें से तीन अजीम शख्सियतों से सोचा आपकी मुलाकात करा दूं। स्वर्गीय हो चुके ये तीन मित्र व छोटे-बड़े भाई हैं सर्वश्री सुशील त्रिपाठी, निर्भीक वर्मा एवं श्री रम्मू श्रीवास्तव।’’ ********************************************************************************** सुशील त्रिपाठी- बात कहां से शुरू करें ? कोई सिरा पकड़ में नहीं आ रहा। बहुत सोचा काफी माथापच्ची की। अतीत में कई डुबकियां लगाई। कई सिरे तलाशे। लेकिन हर सिरे को दूसरा खारिज करता चला गया। थक हार कर सोचा दिमाग खपाने से मतलब नही। कागज कलम एक तरफ रखें और चुपचाप आराम फरमाएं।        लेकिन क्या ऐसा संभव है? मन में कहां शांति? किस कदर बेचैनी होती है इसे हर शब्दकार बेहतर ज