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Showing posts from June, 2016

प्रेरक भूमिका में मुख्यमंत्री

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 संजयनगर (टिकरापारा) शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल में बच्चों के बीच कभी शिक्षक की तरह तो कभी उनके अभिभावकों की भूमिका में नजर आए मुख्यमंत्री. -दिवाकर मुक्तिबोध छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की नौकरशाही पर पकड़ भले ही ढीली हो पर इसमें दो राय नही कि राजनीति की तंग गलियों से गुजरने के बावजूद संवेदनशीलता एवं सामाजिक दायित्व के मामले में वे अद्वितीय हंै। उन्हें स्कूली बच्चों को पढ़ाते हुए देखना-सुनना बहुत सुखद है। देश में शायद ही ऐसा कोई मुख्यमंत्री होगा जो अपने व्यस्ततम समय में से कुछ पल, कुछ घंटे स्कूली बच्चों के बीच बिताता हो, उन्हें पढ़ाता हो, उन्हें सीखाता हो, उनकी सुनता हो तथा उनकी जिज्ञासाओं का शमन करता हो और उनकी पीठ थपथपाता हो। रमन सिंह ऐसा करते हैं। यकीन ऐसा करना उनके सरकारी कामकाज का हिस्सा नही है, पर शिक्षा के प्रति उनका प्रेम तथा उनकी सामाजिकता उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित करती है। इसके पीछे राज्य में खूली शिक्षा की दयनीय हालत भी एक प्रमुख कारण है। लेकिन कोई मुख्यमंत्री अपने प्रवास के दौरान अचानक किसी सरकारी स्कूल की ओर रुख करें तो अचंभा स्वाभाविक

रमन सिंह के लिए बजी खतरे की घंटी

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-दिवाकर मुक्तिबोध भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए छत्तीसगढ़ अब विशेष दिलचस्पी का सबब बन गया है जिसमें नई चिंता भी है और राज्यीय सत्ता को चौथे कार्यकाल के लिए कायम रखने की उजली संभावनाएं भी। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। यदि वे सार्वजनिक रुप से घोषित अपने इरादे पर कायम है तो राज्य में तीसरी शक्ति का उदय होना तय है। जाहिर है कांग्रेस में होने वाली टूट-फूट से भाजपा को फायदा भी है और नुकसान भी। जोगी राजनीतिक के माहिर खिलाड़ी हैं। तमाम झंझावतों के बावजूद व्हील चेयर पर बैठे हुए इस शख्स की राजनीतिक हैसियम में कभी कोई फर्क नही पड़ा। उनकी सक्रियता पूर्ववत कायम रही। लिहाजा नवंबर-दिसंबर 2018 में होने वाले चुनाव के पूर्व वे अपनी पार्टी को इतनी ताकत तो दे देंगे ताकि उसका हाल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी जैसा न हो। स्व. विद्याचरण शुक्ल ने कांगे्रस से बगावत करके राष्ट्रवादी कांगे्रस पार्टी का दामन थामा था। उनके नेतृत्व में पार्टी ने सन् 2003 का विधानसभा चुनाव लड़ा लेकि

जोगी का दांव, उल्टा या सीधा

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-दिवाकर मुक्तिबोध छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने प्रदेश कांग्रेस के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस में संगठन खेमे और जोगी खेमे के बीच पिछले कई महीनों से चली आ रही रस्साकशी एवं शाब्दिक विष-वमन का परिणाम अंतत: यही होना था। जोगी की प्रादेशिक पार्टी का अस्तित्व बकौल जोगी बहुत जल्द सामने आ जाएगा। इस नई राजनीतिक पार्टी के गठन की स्थिति में जाहिर है वर्ष 2018 में प्रस्तावित राज्य विधानसभा के चुनावों में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिलेगा, ठीक वैसे ही जैसा कि सन् 2003 में नजर आया था। तब स्व. विद्याचरण शुक्ल ने कांग्रेस से अलग होकर शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की बागडोर सम्हाली थी। उस चुनाव में परस्पर विरोधी दो समानांतर कांग्रेस की मौजूदगी की वजह से भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस के प्रतिबद्ध वोटों के बंटवारे का लाभ मिला  और वह सत्ता में आ गई। उसे सत्ता से कांग्रेस फिर कभी बेदखल नहीं कर सकी तथा उसके बाद वह लगातार 2008 तथा 2013 के चुनाव हारती रही। यद्यपि ये