कुलपति की नियुक्ति के बहाने एक और चोट

-दिवाकर मुक्तिबोध कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में बलदेव भाई शर्मा की नई नियुक्ति व बिलासपुर स्थित सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय में वंशगोपाल सिंह की पुनर्नियुक्ति से राजभवन व राज्य सरकार के बीच में टकराव की नींव पडती नज़र आ रही है। राजभवन का एकतरफ़ा फ़ैसला व दोनों नवनियुक्त कुलपतियों का आरएसएस की पृष्ठभूमि से होना विवाद का मूल कारण है। राजनीतिक दृष्टि से यह कल्पना से परे है कि किसी कांग्रेस शासित राज्य की उच्च शैक्षणिक संस्थाओं के सर्वोच्च पद पर संघीय विचारधारा के किसी व्यक्ति की नियुक्ति होगी। पर छत्तीसगढ में ऐसा हुआ है जहाँ भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सत्तारूढ़ है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस घटना के पूर्व तक राज्य सरकार व राजभवन के बीच अच्छे तालमेल के साथ बेहतर वातावरण बना हुआ था। यह तालमेल पूर्व भाजपाई मुख्यमंत्री रमन सिहं व राज्यपाल शेखर दत्त के कार्यकाल की याद दिलाता है जिनके संबंध अंत तक मधुर बने रहे। इस दौरान न तो कभी प्रशासनिक कामकाज में अड़चनें आईं और न ही कभी अहं का टकराव हुआ जबकि शेखर दत्त की नियुक्ति तब केन्द्र में सत्तासीन मनमोहन स...