धोनी की कप्तानी की अग्निपरीक्षा आज से

हेलीकॉप्टर शॉट आसमान छुएगा या जमींदोज होगा?

-दिवाकर मुक्तिबोध

आज से एम.एस. धोनी की एक नई परीक्षा की शुरुआत है। यह परीक्षा ठीक वैसे ही है जब कोई नवोदित खिलाड़ी टेस्ट कैप के लिए घरेलू क्रिकेट में झंडा फहराने की कोशिश करता है। दरअसल न्यूजीलैंड के खिलाफ एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय 5 मैचों की शुरुआत 16 अक्टूबर को धर्मशाला से हो रही है। एक दिवसीय के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी इस शृंखला में कड़ी परीक्षा के दौर से गुजरने वाले हैं। इस परीक्षा को टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने और भी कठिन बना दिया है। उन्होंने तीन टेस्ट मैचों की शृंखला में मेहमान टीम को बुरी तरह से धोया और आईसीसी रैंकिंग में भारत को पुन: नम्बर एक की स्थिति में पहुंचा दिया। धोनी भी ऐसा कमाल कर चुके हैं किंतु अब एक दिवसीय में रैकिंग सुधारने के लिए उन्हें न्यूजीलैंड को 4-1 से हराना होगा। धर्मशाला की पिच सफलता के लिहाज से भारत के लिए अनुकूल नहीं है। वहां अब खेले गए 2 एक दिवसीय में भारत ने 1 मैच जीता, एक हारा हालांकि इस पिच पर अलग-अलग क्रिकेट देशों के बीच अब तक कुल 10 मुकाबले हुए हैं। तो अब सवाल क्या धोनी की कप्तानी में धर्मशाला में हार से शुरुआत होगी या धमाकेदार जीत से। क्रिकेट में इस तरह का कोई भी सवाल बेमतलब सा है लिहाजा सिर्फ एक बात तय है, धोनी के सामने चुनौती बहुत कठिन है। इसमें सफलता या असफलता दोनों, धोनी के क्रिकेट कॅरियर का भविष्य तय करेगी जो फिलहाल ढलान पर है।
     सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली जैसे महान भारतीय क्रिकेटरों की तुलना में एम.एस. की बल्लेबाज के रूप में उपलब्धियां बहुत चमकीली नहीं है। उन्होंने न तो शतकों का कोई पहाड़ खड़ा किया और न ही एक रन के आगे शून्य लगाते चले गए लेकिन इसके बावजूद कप्तान के बतौर उनका कोई मुकाबला नहीं है। जो उपलब्धियां उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने हासिल की है, वे उन्हें सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर के रूप में प्रतिष्ठित करती है। उनका मिजाज भी उन्हें अन्य से अलग करता है और क्रिकेट में एक नई शैली हेलीकाप्टर शॉट के ''अविष्कार'' का श्रेय उन्हें देता है। वे पहले ऐसे क्रिकेटर भी हैं जिनके जीवन पर नीरज पांडे जैसे ख्यात फिल्मकार ने फिल्म बनाई जबकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनका सफर अभी जारी है। पूर्व कप्तान अजरूद्दीन की बायोपिक 'अजहर'  व्यावसायिक दृष्टि से फ्लाप रही पर एम.एस. धोनी-अनटोल्ड स्टोरी 100 करोड़ के दायरे में शामिल हो गई।
बहरहाल इसमें कोई शक नहीं, धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने की स्थिति में आ गए हैं। सफर शायद दो चार साल और चले। शायद 2019 के वल्र्ड कप तक। लेकिन यह निर्भर करता है, उनके परफार्मेंस पर जो अब फीका पड़ता जा रहा है। हेलीकाप्टर शॉट लगभग गायब हो गए हैं तथा सर्वश्रेष्ठ फिनिशर की आसंदी भी डोलने लगी है। संकट में पड़ी भारतीय टीम को जीत के मुहाने पर ले जाने की भूमिका में भी वे पिछडऩे लगे हैं। पिछले मुकाबले इसके गवाह हैं। इसी वर्ष जुलाई-अगस्त में वेस्टइंडीज के विरुद्ध अमेरिका के फ्लोरिडा में खेले गए तीन टी-20 मैचों में वे सीरीज नहीं जीत पाए जबकि टेस्ट सीरीज में विराट ने पताका फहरा दी। फ्लोरिडा में पहला मैच जीतने के बाद दूसरे में वेस्टइंडीज के बनाए पहाड़ जैसे रनों का सफलतापूर्वक पीछा करते हुए धोनी ने टीम को जीत की दहलीज पर ला खड़ा किया लेकिन आखिरी गेंद पर जरूरत का एक रन वे नहीं बना सके। इसके पूर्व जिम्बाब्वे के खिलाफ पहले टी-20 के अंतिम ओव्हर में धोनी 8 रन नहीं बना सके। इस साल वल्र्ड कप में भी धोनी बैरंग नजर आए। वल्र्ड कप- टी-20 के पांच मैचों में वे सिर्फ 89 रन जोड़ सके। इसके अलावा और भी आंकड़े हैं जो धोनी की साख पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसा लगता है, उनका वह जादुई टच लुप्त हो गया है जो धोनी को धोनी बनाता रहा है।
    यकीनन अब भारतीय क्रिकेट में विराट का दौर शुरू हो गया है। टेस्ट क्रिकेट में बतौर कप्तान और एक बल्लेबाज के रूप में विराट की सफलताएं भविष्य में सचिन तेंदुलकर के विश्व कीर्तिमानों को पीछे छोड़ दें तो कोई आश्चर्य नहीं। वे फिलहाल टेस्ट कप्तान हैं पर देर-सबेर  क्रिकेट के शेष दोनों फार्मेट की भी कप्तानी उनके हाथों में होगी। सवाल सिर्फ समय और परिस्थितियों का है। न्यूजीलैंड के खिलाफ धोनी यदि कामयाब रहते हैं तो विराट को इंतजार करना पड़ सकता है। अन्यथा नहीं। वैसे न्यूजीलैंड को फतह करने के बाद विराट की एक टिप्पणी गौर करने लायक है जिसमें उन्होंने कहा था कि रिद्धिमान साहा के रूप में टीम को निचले क्रम का सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर एवं आलराउंडर मिला है जो पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ जीत का सफर तय करता है। क्या यह टिप्पणी धोनी के सन्दर्भ में है जो विकेट कीपर व मध्यमक्रम के बल्लेबाज हैं? क्या इसे भविष्य का संकेत माना जाए?
     धोनी के आलोचकों की संख्या कम नहीं है। मोहिंदर अमरनाथ, बिशन सिंह बेदी, योगराज सिंह अग्रणी रहे हैं जो धोनी को हटाने की मांग अरसे से कर रहे हैं। इसमें पूर्व कप्तान अजरुद्दीन भी शामिल है। वे धोनी से कप्तानी छीनने किंतु विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में खेलते रहने की वकालत करते हैं। लेकिन केप्टन कूल ने कभी किसी पर पलटवार नहीं किया, कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। प्रवासी न्यूजीलैंड के खिलाफ यदि उनकी टीम सीरीज हार जाती है तो जाहिर है उन्हें हटाने एवं विराट की कप्तानी सौंपने की मांग जोर पकड़ेगी। अप्रत्याशित फैसले से सभी को चकित करने वाले धोनी संभव है क्रिकेट के दोनों फार्मेट से स्वयं हट जाएं  और खुद को आईपीएल तक सीमित रखें। ऐसा कोई फैसला सीरीज जीतने के बावजूद वे ले सकते हैं। लिहाजा यह कहा जा सकता है कि मौजूदा एकदिनी शृंखला धोनी के लिए परीक्षा की घड़ी है। यदि वे खोयी लय को प्राप्त कर लेंगे तो एक नए धोनी का अवतरण होगा। कहा जाता है दिए की लौ बुझने के पूर्व ज्यादा दीप्तिमान होती है। क्या धोनी के साथ ऐसा ही होगा, शृंखला तय करेगी।

Comments

Popular posts from this blog

मुक्तिबोध:प्रतिदिन (भाग-14)

मुक्तिबोध:प्रतिदिन (भाग-7)

मुक्तिबोध:प्रतिदिन (भाग-1)