पुण्यतिथि : रश्मि मुक्तिबोध चंदवासकर
_______________________
बेटी रश्मि की , पंचांग के हिसाब से आज तीसरी पुण्यतिथि है। कोशिश की कुछ लिखूँ लेकिन भावनाओं के अतिरेक में शब्दों का साथ छूटता चला गया । नहीं लिख पाया। पर उसे याद करते हुए पिता की भी याद हो आई और उनकी यह कविता भी।
वे बातें लौट न आयेंगी
--------------------------
खगदल हैं ऐसे भी कि न जो
आते हैं, लौट नहीं आते
वह लिये ललाई नीलापन
वह आसमान का पीलापन
चुपचाप लीलता है जिनको
वे गुंजन लौट नहीं आते
वे बातें लौट नहीं आतीं
बीते क्षण लौट नहीं आते
बीती सुगंध की सौरभ भर
पर, यादें लौट चली आतीं
पीछे छूटे, दल से पिछड़े
भटके-भरमे उड़ते खग-सी
वह लहरी कोमल अक्षर थी
अब पूरा छंद बन गयी है-
' तरू-छायाओं के घेरे में
उदभ्रांत जुन्हाई के हिलते
छोटे-छोटे मधु-बिंबों-सी
वह याद तुम्हारी आयी है'--
पर बातें लौट न आयेंगी
बीते पल लौट न आयेंगे।
( गजानन माधव मुक्तिबोध , रचनाकाल 1948, मुक्तिबोध रचनावली में संकलित)
Comments
Post a Comment